Tuesday, February 15, 2011

26 जनवरी .. ek alag subah .

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है!

राम प्रसाद बिस्मिल के आज से करीब 92 साल पहले लिखी उर्दू की ये  कविता आज भी हमारे दिल में  देश भक्ति की भावना भर देती है.बचपन से इन पंक्तियों को हमने 26 जनवरी / 15 अगस्त पर सुना है.
26 जनवरी , गणतंत्र दिवस का नाम सुनते ही हमारे मन में हमारा बचपन flashback की तरह चला आता है. वो स्वादिष्ट लड्डू, दूर दर्शन पर आती गणतंत्र दिवस परेड, साफ़ सुथेरी,इस्त्री करी स्कूल की ड्रेस पहन कर दुल्हन की तरह सजे हुए  स्कूल में जाना , स्कूल में बजते  देश भक्ति के गाने , स्कूल मैंदान की मिटटी की सौंधी खुशबू और तिरंगे को सलामी देने के लिये गर्व से  उचा होता सर.इन पुरानी यादों से दिल में एक हूक से उठती है.
पिछले  4 -5 सालों से हम AID प्रयास में, इन्ही  लम्हों को नए सिरे से ताज़ा करते आयें हैं.
हर साल की तरह इस साल भी, प्रयास के सभी batch के बच्चे, २६ जनवरी को लेकर काफी उत्साहित थे . कई दिनों की मेहनत को आज उन्ही झुग्गी झोपडी के लोगो के सामने दिखने का मौका था, जो उन्हें केवल कूड़ा उठने के लायक समझते हैं.यह दिन था , अपने दीदी - सरजी की आशायों पर खरा उतने का.
इस साल एंकरिंग का दारोमदार था , हमारी चहेती चारू दीदी , नकुल भईया , प्रयास के ही प्रतिभावान  बच्चे सीफत और जाबाज़ का, जिसको सभी ने बखूबी निभाया.

सीफत और जाबाज़ के आत्मविश्वास को देख कर, प्रयास की सार्थकता और सफलता पर गर्व महसूस होता हैं .इन बच्चो की आगे बढ़ने , कुछ कर दिखाने की जो ललक है वह तारीफे काबिल है .
सभी कार्यकर्म चाहे वह नन्हा मुन्ना सिपाहियों का गाना , Senior batch के लडको और लड़कियों का ग्रुप डांस.सभी में बच्चो की जी तोड़ मेहनत और लगन दिख रही थी.
Senior Batch की जुलेखा का अंगरेजी में भाषण को सभी ने सराहा.
विशिष्ट अतिथियों में उपस्थित थे नयी दिशा की प्रिंसिपल मैडम, OM foundation से संजय सर और सुनीता मैडम.  प्रिंसिपल मैडम और संजय सर की उपस्तिथि  ने सारे बच्चो में  उत्साह सा भर दिया था .
बच्चो के साथ जो volunteer उनकी मदद  करने के लिये रात दिन एक कर रहे  थे उनकी मेहनत भी साफ़ झलक रही थी.बच्चो से जयादा वो  नर्वस नज़र आ रहे थे.
और हो भी क्यों नही , प्रयास में यही जिम्मदारी की भावना , एक परिवार की तरह मिल जुल कर काम करना,  हम सब के आगे बढते रहने की प्रेरणा है.
बच्चो ने एक नाटक भी प्रस्तुत किया , जो झुग्गी की रोज़ - मर्रा की परेशानियों पर रौशनी डालती है , चाहे वो स्कूल जाने मैं आने वाली परेशानी , ड्रॉप ओउट्स की परेशानी , लड़कियों को स्कूल न जा देने , बड़े लडको का जल्दी पैसे कमाने के लिये जुआ खेलना .इस नाटक को देख कर लगा , हमारे प्रयास , धीरे-धीरे ही सही हमारे प्रयास में रंग ला रहें हैं.
एक चिड़िया , अनेक चिड़िया वाली प्रस्तुति ने तो  जैसे बचपन की याद दिला दी.
एक बात गौर करने लायक है, जब भी आप - हम पब्लिक के सामने आते हैं तो हम स्टेज फीयर के कारण नर्वस हो जाते हैं , लेकिन प्रयास के बच्चों को कोई डर नही , कोई स्टेज फीयर नही.
आत्मविश्वास से और पूरे जोश के साथ अपना कार्यकर्म प्रस्तुत किया.

इन्ही बच्चों के आत्मविश्वास और लगन को देखा देखी अब तो बच्चो के मम्मी-पापा भी भाग लेने लगे हैं.मुफ्ती जी , जियाउल जी ने जो अपने बच्चो और खुद के परिवार में बदलाव महसूस किये , उन्होंने झुग्गी के लोगो को वो बताया.
मुफ्ती जी ने एक घटना का जिक्र किया.उनके बच्चे आमिर और हफसा ने बातों ही बातों में बड़े होके एक के डॉक्टर और दूसरे के teacher  बनने की बात तो जैसे मन को छु गयी.
हमारा सबसे बड़ा अचिवेमेंट तो महिला कक्षा की महिलाओं द्वारा, अपना अनुभव झुग्गी के लोगो को बताना था.

नयी दिशा की प्रिंसिपल मैडम के झुग्गी - झोपडी के लोगो को अपने बच्चो पर ध्यान देने और उन्हें पड़ते  रहने की जो शिक्षा दी थी , हमे आशा है  की वो जरूर कारगर होगी.
मैं प्रयास की तरफ से उन सभी  volunteer को तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ , जिन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया!
चारू ,लिंकन,नकुल,अन्विता, गौरव,अर्नव,प्रतीक, सुगंधा,श्वेता,प्रशांत,गुरविंदर,दर्शन,विकास,आनंद , विपिन,कविता  सभी का बहुत बहुत शुक्रिया !!
मैं प्रयास की तरफ से कनिका और शिवानी का भी शुर्कगुजार हूँ , जिन्होंने प्रयास के बच्चो को डांस सिखाने में कड़ी मेहनत की.
हर बार की तरह हमारे रजत सर का भी धन्यवाद् , स्वादिस्ट लड्डुओं  के लिये.
हमारे प्रयास के teacher ज्योति मैडम और कुल्विन्दा मैडम को भी बहुत बहुत धन्यवाद्.आप दोनों के प्रयास व् मेहनत से ही , आज प्रयास के बच्चे अच्छे नम्बरों से पास हो रहे हैं.और कुछ बच्चे तो अपने कक्षा में प्रथम , द्वितीय भी आ रहे हैं.

इस बार का 26 जनवरी यादगार रहेगा , बच्चो के दिन प्रति दिन बढ़ते आत्मविश्वास , सभी volunteer के प्रयत्नों , और झुग्गी के सहयोग के लिये.

मेरे दोस्त हमेशा पूछते हैं क्या है  प्रयास?
प्रयास एक परिवार है, जिसमें हर एक volunteer एक सदस्य है, जिसमें हर एक का योगदान जरूरी है.
सही मयोनो में प्रयास कुछ करने की इरादों को वास्तिविकता में  बदलने का जरिया है.यह एक ऐसी कड़ी है जो बहुत सारे युवक - युवतियों को समाज के उन सब पहलुओं को हल करने के लिये जोडती है , जिनको हम हमेशा करने की सोचते हैं लेकिन हमेशा परिस्तियों या सरकार पर ड़ाल देते हैं.परेशानियां और अड़चन तो सभी के सामने आती हैं और हमेशा आती रहेंगी लेकिन कुछ करने का विश्वास हो तो सब कुछ हासिल किया जा सकता है.

किसी अनजाने कवी की  ये पंक्तियाँ हमारा हमेशा मार्ग दर्शन करती रहेंगी ..

हाथो में हाथ लिये , चले यूही कांरवा
अपनी है जमी , अपना हे आसमा |
आये गए गम , आई गयी ख़ुशी,
मंजिल चाहे मुश्किल ही  सही

आगे बढे , हाथो में हाथ लिए , यही है दुआ
अपनी है जमी , अपना है आसमा

Monday, January 31, 2011

गब्बर सिंह' का चरित्र चित्रण

कल  रात  चेहरों  की किताब  (फेस बुक ) पर  ठाकुर  और  गब्बर  की  कॉमेडी  देखी  .. थोडा  विचार  करने  पर  लगा  क्या  पेर्सोनालिटी  था  गब्बर  भी .. शोले  की  कहानी  ..एक  थोथली  कहानी  होती  अगर   गब्बर  न  होता .. बस  यही  विचार  हमारे  बीच  वार्तालाप  का टोपिक  बन  गया  और  ..गब्बर  की  आज  के  समय  मैं  प्रभाविता  और  योगदान  कुछ  इस  तरह  से है  .. 


1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.

२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.


3. नृत्य-संगीत का शौकीन: 'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.


4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.

5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक यु का 'लाफिंग बुद्धा' था.


6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.


7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.


8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कर रखा था. उस युग में 'कौन बनेगा करोड़पति' ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.


9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता तो जय और व??रू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.


Friday, July 2, 2010

Pay rise in salary of Indian MPs



Our Members of Parliament (MP) (and state legislators as well) want to be called honourable, though they do not eschew the things they supposed to do. They are covetous and not beyond robbing the state till. What else can you call the sanctioning for themselves 100% rise in their salaries. But first the facts.

MPs can look forward to a hefty hike in their salaries, which are likely to shoot up over an unprecedented 100 per cent. The current salary of a member, including perks, comes to about Rs.42,000 per month and the government is hiking it to a minimum of Rs.80,000.

Charandas Mahant, MP, who is heading a committee formed last year to go into MPs salaries and allowances, has discussed the proposal with Finance Minister Pranab Mukherjee. The Mahant committee has said since MPs’ positions are higher in protocol compared to government secretaries, they should get more pay than the latter. At present the secretary gets around Rs.80,000 besides 47 per cent Dearness Allowance which together come to Rs.1.2 lakh per month on average. The panel is said to have argued that the government should enhance the salaries of MPs to more than Rs.1.2 lakh or at least more than Rs.80,000 that the secretary gets without DA.

At present, a member gets a salary of Rs.16,000, Rs.20,000 as constituency allowance and Rs.6,000 towards stationary allowance. He/she also gets up to Rs.14,000 towards staff but this amount directly goes to the bank account of the staff. Other perks include free travel on both Indian Railway and business class by air, constituency allowance, daily allowance for signing the parliament roster, free electricity, phone etc. As regards travel, they can make 34 trips to Delhi from their constituencies apart from those for attending meetings. As regards train travel there is no restriction. They are entitled to travel on the highest class along with their spouse besides a companion who can travel second class AC.

The increase in salary amounts to robbing the state treasury because the MPs have voted it for themselves. For the babus the increase in salaries is recommended by periodically appointed pay commissions and are examined and decided by the government. There are two levels of checks and balances when salaries are decided for babus. In the case of MPs, they decide it for themselves This is bad in principle and gives a bad example for the rest of citizens.

Apart from the principle and example angles, MPs don’t deserve any rise if the work they do (or don’t do) is considered. As The Times of India editorially commented, “Our MPs clearly don’t deserve a salary hike. Any pay rise should be linked to performance. But the track record of Indian MPs in the recent past has been poor, to say the least. They have neglected one of their basic duties – crafting and debating legislation. The figures of business conducted in Parliament speak for themselves. The number of sittings of the Lok Sabha has come down from a yearly average of 124 in the first decade of 1952-61 to 81 between 1992-2001, a decline of 32 per cent. For the same period, the decline of Rajya Sabha was 20 per cent. This has had direct impact on the number of Bills passed by Parliament. The annual average of the number of Bills passed has come down from 68 in the first decade to 50 between 1992-2001. This hasn’t got any better in the past few sessions of Parliament. The government could only get six of the 27 planned Bills for the Budget session passed.”

I saw the latest news about Parliament suggestion to give 3G phones to all MPs at http://www.dinamalar.com/News_Detail.asp?Id=37280. What an idea sirji..? They can rise petrol and diesel prices and they can cover the ass of ambani's and mittals. Why should MPs think about that..? Their intention is all about how to fill their bank account with lump some money. Below are few things listed where our MPs aren't thinking about finding solution.

* Bhopal gas tragedy
* Naxalites problem
* Kashmir communal issues
* Coal mine problem in many states

Forget about MPs, think about the media and their duties. I am so happy about the behavior of fourth pillar of indian democracy - media last week. Why should they are caring about all above mentioned issues when they have high profile Dhoni's marriage coverage.? Why should they want to think about people issues. Their only aim is give coverage proportion to fill film stars interviews/cricketer's function. It was ashamed that Headlines Today put flash news about "I hate Love storys" review. Cum'on .. we have more issues to talk or address about.

Thursday, May 27, 2010

Role Model..


Do I want fame like Shah Rukh Khan’s? Do I want success like Sachin Tendulkar’s? Do I want beauty like Aishwarya Rai’s? Do I want intelligence like Dr Kalam’s? Do I want compassion like Mother Teresa’s? Do I want power and courage like Kiran Bedi’s? Do I want to be a good human being, like my parents are? Or do I just want be myself?


These are some questions that flit between our unconscious and conscious mind. Such questions not only help us formulate our own characteristic features but also help us choose our ideal persona. That choice determines our oneness with that ‘other’, which we generally call ‘role model’.

Although it has come to have a variety of connotations — from a source of inspiration to a social icon — the phrase quite literally means a model for a role, a person one can strive to emulate. For example ‘Dr APJ Abdul Kalam’ is more than a name — it is a symbol of dreaming big, realising those dreams and inspiring others to do so. Dr Kalam is not just a huge success — the son of a fishing boat owner who went on to become a rocket scientist and then the President of India — but he also embodies the right values. In short, a role model in every way.

Children choose role models for themselves as early as the pre-school years, according to a theory of Dr Amy Beth Taublieb, a clinical psychologist. The type of model changes with the development level of the child. It is the youth, with the unlimited possibilities of the future before them, who are influenced by the people that inspire them to fly high.
Today’s role models are associated with money, beauty and fame. Actors and rock stars have become the centre of attention as our heroes in the 21st century. But a good role model is someone we should want to be like because we see value in his or her actions. The role models people choose reflect the type of values they have and the society they will create.

We often do not recognize our true role models until we have noticed our own personal growth. Thus, we need to keep the following points in mind before defining our source of inspiration:

Confidence: Choose someone who has a lot of confidence in himself/herself and in his/her abilities. A good role model would be someone who knows who he or she is.

Genuineness: You do not want role models who would pretend to be something they are not, and would fake a personality to suit others.

Individuality: Choose someone who thinks it is alright to be unique, even if that means facing some ridicule. They should make you feel good about being yourself; they should not make you compare yourself to them and wish you were prettier or richer.

Empathy: Choose someone who is kind and can communicate with people.

Skills: Look for someone who is living life the way you would like to. If you want to be a famous author, your role model could be someone who is a success at writing.

With these points, plus our intuition or faith, we can create a picture of the ideal self that we really aspire to be. Then we just need to take one step forward to close the gap between that ideal self and the real self.

Friday, May 14, 2010

Udaan Jindgi ki



Hai Tamanna yahin bas Kuch zyada nahi! !
- - - - - - - -
udu to udu bas niche na giru! !
- - - - - - - -
le jaun apne is bhanwar ko! !
- - - - - - - -
Jahan is kasti ko kinara mile! !
- - - - - - - -
mile jo bhi mile! !
- - - - - - - -
is parinde ko ek sahara mile! !
- - - - - - - -
apni manzil kaha hai ye to nahi malum! !
- - - - - - - -
par jahan pahunchu wo bhi ek manzil ka kinara hi mile! !
- - - - - - - -
samne jo bhi ho use ek sahara mile! !
- - - - - - - -
zazbaat ke samundar me gahrai ka nazara mile! !
- - - - - - - -
zeevan to zeevan hai sukh aur dukh ka kinara mile! !
- - - - - - - -
mangu yahi hai Vidhata dena apna sahara! !
- - - - - - - -
chahe wo ho tinka yaa ho sapno ka kinara! !
- - - - - - - -
hai Tamanna yahin bas Kuch zyada nahi! !
- - - - - - - -
udati rahi hun apne hi umango mein kahi! !
- - - - - - - -
Hai Tamanna yahin bas Kuch zyada nahi! !
- - - - - - - -

Tuesday, April 13, 2010

Why...........

Why each tear from my eyes dripping away for you,
Why night is not complete without driffting thought of you,
Why each ache of love is for you,
why each hatered is for you,
why i want to drenched into your love,
i know you are and will be happy,
but why each pore of my body wants you so back,
Why each movie remined the moment spent with you,
it just me or each victim of love,
Still wishing you a happiness all above.

Monday, March 15, 2010

Think ..








THINK .
 There was
a blind girl who hated herself because she was blind. She
hated everyone, except her loving boyfriend. He was always
there for her. She told her boyfriend, 'If I could only see

the world, I will marry you.'


One day,
someone donated a pair of eyes to her. When the bandages
came off, she was able to see everything, including her
boyfriend.

He asked

her,'Now that you can see the world, will you marry me?' The
girl looked at her boyfriend and saw that he was blind. The
sight of his closed eyelids shocked her. She hadn't expected
that. The thought of looking at them the rest of her life
led her to refuse to marry him.



Her

boyfriend left in tears and days later wrote a note to her
saying: 'Take good care of your eyes, my dear, for before
they were yours, they were mine.'



This is

how the human brain often works when our status changes.
Only a very few remember what life was like before, and who
was always by their side in the most painful situations.


Life Is a

Gift



Today

before you say an unkind word - Think of someone who can't
speak.

Before

you complain about the taste of your food - Think of someone
who has nothing to eat..

Before

you complain about your husband or wife - Think of someone
who's crying out to GOD for a companion.

Today

before you complain about life - Think of someone who is no longer alive ....

Before

whining about the distance you drive Think of someone who
walks the same distance with their feet.

And when

you are tired and complain about your job - Think of the
unemployed, the disabled, and those who wish they had your
job.

And when

depressing thoughts seem to get you down - Put a smile on
your face and think: you're alive and still
around..


==========================


I PRAY

THIS MOVES AROUND

THE ENTIRE UNIVERSE.....